मेरी जुबां पे नए जायकों के फल लिख दे ..
ऐ मेरे खुदा तू मेरे नाम इक ग़ज़ल लिख दे..!!!
वो चाहता है यह दुनिया, मैं चाहता हूँ उसे ..
यह मसला बड़ा ही नाज़ुक़ है , कोई हल लिख दे ...!!!
मैं एक लम्हे में दुनियां समेट सकता हूँ ...
वो जब मिलेगा तन्हाई में , बस इक पल लिख दे..!!!
.....डा. बशीर् बद्र ....🌹🌹
*चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज.....*
*पर वक्त, और तकदीर से आगे, कभी निकल न सका....*
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*कभी उम्मीदें उधड़ जाएं, तो मेरे पास ले आना..*
*मैं हौसलों का दर्जी हूँ, मुफ़्त में रफ़ू कर दूंगा....*