तुझे सोचता हुँ
Thursday, March 02, 2017तुझे सोचता हूँ दिन सुहाना हो जाता है
जीने का मेरे ये एक बहाना हो जाता है।
मुझे लिखने मे कोई ज़हमत नहीं होती,
तेरा खयाल ख़ुद एक तराना हो जाता है।
तू इख़्तियार अपने तीर ए नजर पर रख,
बाशिंदा हर यहाँ तेरा निशाना हो जाता है।
तू चाहती है के राज़ रहे ताअल्लुक अपना,
रब़्त ये ही ज़माने में फसाना हो जाता है।
यूँ भी अज़ाब कम नहीं थे मेरे दिल के लिए
क्यों हर शख़्स तेरा ही दीवाना हो जाता है।
ये फ़लसफ़ा भी समझ से परे ही है 'महेश'
जिसे भी दिल से चाहो वही बेगाना हो जाता है।
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Good blog man
ReplyDeleteHappy Raksha Bandhan 2018