फिर चाहे वो नाराज़ हो, बेरुख़ी दिखाए..
ख़ामोश हो जाए, जलाए, या भूल जाए..
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गिरते हुऐ "अश्क" की..."कीमत"..."न" पूछना.....
"इश्क़" के हर बूंद में..."लाखों"..."सवाल" होते हैं......
एक बार और देख कर आज़ाद कर दे मुझे,
मैं आज भी तेरी पहली नज़र की क़ैद में हूँ !!
"दूरियों " का ग़म नहीं अगर "फ़ासले" दिल में न हो।
"नज़दीकियां" बेकार है अगर जगह दिल में ना हो।
कभी हमसे भी पूछ लिया करो हालएदिल,,,
हम भी तो कह सकें....के दुआ है आपकी
ख़ूबसूरत तो बहुत था मगर महसूस न हुआ...
कैसे, कहाँ और कब, मेरा बचपन चला गया...!!!
मेरा हर रास्ता तुम पर ही ख़त्म होता है...
मैंने अपनी ख़्वाहिशों को......बस....
इतने ही पंख लगाए हैं.. !!!
जो हद में रहकर धड़के, वो धड़कनें कैसी..
और जो बे-हद ना हो, वो ख़्वाहिशें कैसी
"तुझे पाया.. एक बार भी नहीं..
मगर खोया ....कई बार.."
नहीं मालूम कब से है तुझसे ताल्लुक अपना.....
तेरा अक्स था दिल में तुझसे मिलने से पहले.....!!!
वो आईने को भी हैरत में डाल देता है .......
किसी-किसी को खुदा हुस्न भी कमाल देता है...... !!
एहसासों की नमी ज़रूरी है त-आल्लुकों के दरम्यां...
रेत सूखी हो तो हाथों से फ़िसल जाती है ....
"कुछ कही गई, कुछ रह गई अनकही-सी बातें....,
बिन मिले ही हो गईं, कुछ ऐसी भी थीं मुलाकातें...!