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Uski Bekhudi To Dekho
Na Mujhe Apnata Hai Aur
Na Hi Apni Kaid Se Azad Karta Hai





न चाहूं मान दुनिया में, न चाहूं स्वर्ग को जाना ।
  
मुझे वर दे यही माता रहूं भारत पे दीवाना ।
  
करुं मैं कौम की सेवा पडे चाहे करोडों
दुख ।
  
अगर फ़िर जन्म लूं आकर तो भारत में ही हो आना ।
  
लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूं हिन्दी लिखूं हिन्दी ।
  
चलन हिन्दी चलूं, हिन्दी पहरना, ओढना खाना ।
भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की ।
  
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना ।
  
लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन ।
  
करुं में प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना ।
  
नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से "बिस्मिल" तुम
  
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना ।।
 


 
 
 
